गुरु शक्ति और उसकी महिमा
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प्रस्तावना
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प्रमुखतः गुरु के बारे में सभी कुछ न कुछ जानते है मगर गुरु कितने प्रकार के होते है ये अभी तक गोपनीय ही रहा है क्योकि पहली बार इस तथ्य का खुलासा इस लेख के माध्यम से कर रहा हूँ कि गुरु भी चार प्रकार के होते है अभी तक लोगो को यही मालूम था कि गुरु सिर्फ गुरु ही होता है हमारे पुराने ग्रंथो में भी इस विषय में भी कुछ लिखा नहीं है
इसीलिए लोगो को इसकी जानकारी नहीं है इस विषय का ज्ञान अत्यंत
उच्चकोटि के योगी ,यति ,सन्यासी से ही प्राप्त किया जा सकता है इसकी भी कसौटी यह है कि उस योगी यति सन्यासी ने ईश्वर के साक्षात दर्शन
प्राप्त किये हो वही आपको इस तरह के ज्ञान को प्रदान कर सकता है अब आप स्वयं निर्णय कर सकते है कि यह कितना कठिन कार्य है ऐसे ही
योगीराजो के भी योगिराज है श्री स्वामी निखिलेस्वरानन्द जी जिन्हे देखने लिए हिमालय के ऊँचे से योगी भी तरसता है कि काश जीवन में एक बार
निखिलेस्वरानन्द जी को देख ले तो उसका ये जीवन सफल हो जायेगा ऐसे योगिराजजी के आस पास हजारो वर्ष की उम्र प्राप्त योगियों की भी
लाइन लगी रहती है वे भी निखिलेस्वरानंदजी के दर्शन करने के लिए व्याकुल दिखाई देते है कि स्वामीजी हमारी तरफ बस एक बार देख ले तो
हमारा भी जीवन धन्य हो जायेगा उन्ही के श्री मुख से मुझे भी ज्ञान प्राप्त हुआ कि गुरु भी चार प्रकार के होते है जिसका वर्णन नीचे दे रहा हूँ |
उच्चकोटि के योगी ,यति ,सन्यासी से ही प्राप्त किया जा सकता है इसकी भी कसौटी यह है कि उस योगी यति सन्यासी ने ईश्वर के साक्षात दर्शन
प्राप्त किये हो वही आपको इस तरह के ज्ञान को प्रदान कर सकता है अब आप स्वयं निर्णय कर सकते है कि यह कितना कठिन कार्य है ऐसे ही
योगीराजो के भी योगिराज है श्री स्वामी निखिलेस्वरानन्द जी जिन्हे देखने लिए हिमालय के ऊँचे से योगी भी तरसता है कि काश जीवन में एक बार
निखिलेस्वरानन्द जी को देख ले तो उसका ये जीवन सफल हो जायेगा ऐसे योगिराजजी के आस पास हजारो वर्ष की उम्र प्राप्त योगियों की भी
लाइन लगी रहती है वे भी निखिलेस्वरानंदजी के दर्शन करने के लिए व्याकुल दिखाई देते है कि स्वामीजी हमारी तरफ बस एक बार देख ले तो
हमारा भी जीवन धन्य हो जायेगा उन्ही के श्री मुख से मुझे भी ज्ञान प्राप्त हुआ कि गुरु भी चार प्रकार के होते है जिसका वर्णन नीचे दे रहा हूँ |