सदगुरु की अध्यात्मिक शक्ति
*********************** परमपूज्य गुरुदेव स्वामी निखिलेश्वरानन्द जी
प्रेम की साकार मूर्ति
संसार की समस्त
सिद्धियो व नव निधियो के स्वामी परमेष्ठी गुरु मेरे प्राणाधार
writer : Harikant sharmaExperience of Sadhna :33years
Subject: Yog cintan
Blog Name :yogichintan
(योगी चिंतन )
विषय वस्तु ,
इस संसार में गुरु
से बढ़कर कुछ भी नहीं है गुरु सभी शक्तियों का पालन हार होता है क्योकि वह शक्ति का
अंगार ,स्फुलिंग ,विस्फोटक ,जाज्वल्यमान और न जाने कितने -कितने रूपों का संवाहक होता है
गुरु की शक्ति के बिना कोई कार्य सुचारू रूप से नहीं हो सकता गुरु प्रेम का सागर
होता है ,गुरुधारणा - शक्ति का भी मूल स्वरुप होता है आज
पहली बार यह गोपनीय तथ्य पाठको के सामने रख रहा हूँ कि गुरु चार प्रकार के होते है
क्योकि इस जानकारी को किसी भी शास्त्र ग्रन्थ में प्रकाशित नहीं किया गया हैहमारे पुराने ग्रंथो में भी इस विषय में भी कुछ लिखा नहीं है इसीलिए लोगो को इसकी जानकारी नहीं है इस विषय का ज्ञान अत्यंत उच्चकोटि के योगी ,यति ,सन्यासी से ही प्राप्त किया जा सकता है
इसकी भी कसौटी यह है कि उस योगी यति सन्यासी ने ईश्वर के साक्षात दर्शन प्राप्त किये हो वही
आपको इस तरह के ज्ञान को प्रदान कर सकता है अब आप स्वयं निर्णय कर सकते है
कि यह कितना कठिन कार्य है ऐसे ही योगीराजो के भी योगिराज है श्री स्वामी निखिलेस्वरानन्द जी जिन्हे देखने लिए
हिमालय के ऊँचे से योगी भीतरसता है कि काश जीवन में एक बार निखिलेस्वरानन्द
जी को देख ले तो उसका ये जीवन सफल हो जायेगा ऐसे योगिराजजी के आस पास हजारो वर्ष की उम्र प्राप्त
योगियों की भी लाइन लगी रहती है वे भी निखिलेस्वरानंदजी के दर्शन करने के लिए व्याकुल
दिखाई देते है कि स्वामीजी हमारी तरफ बस एक बार देख ले तो हमारा भी जीवन धन्य
हो जायेगा उन्ही के श्री मुख से मुझे भी ज्ञान प्राप्त हुआ कि गुरु भी चार प्रकार
के होते है जिसका वर्णन इस ब्लॉग में आगे दिया है |
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