कई ग्रंथो में लिखा है कि उच्च स्तर के साधु ,सन्यासी, योग,यति ,महात्मा एक स्थान से दूसरे स्थान पर विचरण करते रहते है हमारे भारत वर्ष में बहुत ही प्रसिद्द संत हुए है जिनका नाम ब्रम्हर्षि नारद है वे एक ही पल में एक स्थान स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में समर्थ थे वे एक लोक में विचरण करके एक स्थान के समाचार दूसरे लोक में जाकर सुना सकने में सक्षम थे आज भी ऐसे
कई योगी और सन्यासी है जो आकाश मार्ग से ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर अबाध गति से आ -जा सकते है ऐसे ही हिमालय के उच्चकोटि के योगी है अभ्यानन्दजी जो हवा में उड़कर संवेग कही भी जाकर वापिस भी आ सकते है यध्यपि अब तक यह पद्धति कठिन और गोपनीय रही है मगर अभ्यानन्दजी ने
फिर से नारद प्रणीत विद्या को हमारे सामने लाये है इस विद्या का नाम क्षम विद्या है क्षम माने होता है आकाश नारद मुनी ने अपने ग्रन्थ में इस विद्या का वर्णन बड़े ही विस्तार से किया है जिसमे आकाश गमन के बारे में कई गोपनीय तथ्य प्रकाशित किये गए है आज हमारे पाठको की जानकारी के लिए ये गोपनीय तथ्य पहली बार प्रकाश में लाये जा रहे है हिमालय के
आदरणीय अभ्यानन्दजी स्वयं इस विद्या के श्रेष्ठ जानकर है और आकाश गमन प्रिक्रिया के सिद्ध हस्त आचार्य है उनके अनुसार हमारा शरीर पांच भूतात्मक है अग्नि वायु आकाश और पृथ्वी तत्व शामिल है में पृथ्वी तत्व की प्रधानता होने के कारण से ही हम पृथ्वी से ऊपर नहीं उठ पाते अगर किसी भी प्रकार से इस तत्व को कम कर दिया जय तो हम भी पृथ्वी से ऊपर उठकर कही भी आने और जाने में सक्षम हो जायेगे ।
यह साधना किसी भी अमावस्या से शुरू की जा
सकती है यह बीस दिनों की साधना है साधना में साधक अमावस्या की
रात को शमशान भूमि
के पास स्नान करके फिर शमशान में आकर अपना मुह दक्षिण दिशा की ओर करके बैठे
अपने नीचे किसी भी प्रकार का आसान नहीं होना चाहिए शमशान की राख ही
आसन के रूप में नीचे बिछानी चाहिए सामने हिम श्रृंगार को सामने रखते
हुए उसकी मानसिक पूजा संपन्न करनी चाहिए
फिर गुटिका के सामने वही पर बैठ कर ६ घंटे मन्त्र जाप करना चाहिए मन्त्र की जानकारी करने के लिए निम्न पते पर संपर्क करे मन्त्र अत्यंत गोपनीय है इस साधना में किसी सामिग्री की जरूरत नहीं पड़ती सारा काम मानसिक रूप से करना होता है इस साधना में व्यकि को आकाश मार्ग से ही एक क्षम गुटिका प्राप्त होती है जिसे कमर में या भुजा पर बांध लेना चाहिए इसके बाद सड़क जब भी पांच बार मन्त्र का जाप करेगा तब स्वतः ही आकाश गमन प्रिक्रिया शुरू हो जाएगी और इस प्रकार वह मन चाही जगह पर आ -जा सकेगा इस प्रकार की सिद्धि की खास बात ये है कि वह स्वयं तो सबको देख सकेगा मगर उसको कोई नहीं देख पायेगा |
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